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राष्ट्रीय
05-Sep-2020

1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध शुरू होने के कारण भारत की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी सरकार के पास विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं था युद्ध के लिए सैन्य सामग्री और डीजल पेट्रोल खरीदने के लिए सरकार को विदेशी मुद्रा अथवा सोने की जरूरत थी इसको देखते हुए तत्कालीन सरकार ने भारत में स्वर्ण नियंत्रण अधिनियम लागू किया 1962 के इस अधिनियम के अंतर्गत सोने को छडों के रूप में सिल्ली के रूप में तथा ठोस रूप में रखने पर प्रतिबंध लगाया गया था सोने का जो वायदा कारोबार होता था सरकार ने उसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था 1963 में 14 कैरेट से ज्यादा के आभूषण बनाने पर रोक लगा दी गई थी भारत में स्त्री धन के रूप में सोने के आभूषण को रखे जाने की परंपरा थी सरकार ने स्त्री धन के रूप में जो जेवरात महिलाओं के पास थे उन्हें रखने की छूट दी गई सोने के आभूषण बनाने वाले ज्वेलर्स को अधिकतम 2 किलो सोने का स्टाक रखने की अनुमति दी गई थी यह अनुमति भी ज्वेलर्स के यहां जो सुनार काम करते थे उसके आधार पर सी बातें होती थी जो सुनार सोने का आभूषण बनाते थे उनको अधिकतम 100 ग्राम सोने रखने की छूट दी गई थी सरकार का स्वर्ण नियंत्रण कानून लागू करने का उद्देश्य था कि भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कम होने के कारण रिजर्व बैंक में सोने का भंडार बड़े ताकि सेना के लिए गोला बारूद हथियार विमान डीजल पेट्रोल और सेना की जरूरी चीजें सरकार खरीद सके इसके साथ ही भारत में वैकल्पिक मुद्रा की जो बाढ़ आ गई थी उसको रोकना था तस्करी के माध्यम से विदेशों से चोरी छुपे बड़ी मात्रा में सोना आता था जिसका भुगतान भारतीय मुद्रा में किया जाता था जिसके कारण सरकार का विदेशी मुद्रा का भंडार काफी कम हो जाता था 1965 के पाकिस्तान युद्ध के समय एक बार फिर भारत सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां हैं सरकार ने स्वर्ण बांड योजना जारी की 1965 में स्वर्ण बांड योजना के तहत बांड खरीदने वालों को कर्ज से मुक्ति दी गई स्वर्ण बांड लेने वालों को एक निश्चित अवधि के बांड जारी किए गए जिस पर उन्हें मूलधन और ब्याज भारत सरकार द्वारा अदा किया गया 1962 में भी केंद्र सरकार ने स्वर्ण बांड जारी किए थे उस समय 6.50 फ़ीसदी की दर से ब्याज दिया गया था 1962 में भारत- चीन युद्ध के समय निजाम हैदराबाद ने भारत सरकार को 5 टन सोना दान में दिया था इतना बड़ा दान स्वतंत्र भारत के इतिहास में फिर कभी भारत सरकार को किसी एक संस्थान या व्यक्ति से नहीं मिला मीर उस्मान निजाम हैदराबाद ने देश की अखंडता एवं सुरक्षा के लिए चीन से भारत का जब युद्ध शुरू हुआ उस समय 5 टन सोने का दान किया उससे सारे देश भर में उनकी देशभक्ति को सराहा गया लाल बहादुर शास्त्री स्वयं 5 टन सोना लेने के लिए हैदराबाद पहुंचे थे स्वतंत्रता के पश्चात भारत के पास कोई भी आर्थिक संसाधन नहीं थे कृषि आय से ही अर्थव्यवस्था संचालित होती थी केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा बहुत कम टैक्स लगाया गया था उस समय लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी ऐसी स्थिति में बहुत कम टैक्स में सरकार को अपने कार्य करना होते थे इसी बीच भारत में धार्मिक एवं भाषाई दंगे हुए सरकार ने इन को नियंत्रित किया 1962 में चीन ने भारत के ऊपर हमला कर दिया भारत को इसका मुकाबला करना पड़ा इसके बाद 1965 में पाकिस्तान ने भारत में हमला किया भारत ने अपने सीमित संसाधनों और कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी जिस तरह से समस्याओं का समाधान किया वह केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी लेकिन इस चुनौती में भारत की जनता और मध्यम वर्ग के लोगों ने सरकार को स्वयं दान देकर जो मदद की वह अनुकरणीय थी भारत सरकार जनता से मिले समर्थन के कारण ही चीन और पाकिस्तान के युद्ध का मुकाबला कर सकें यहां यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि भारत में उस समय सिंचाई के कोई साधन नहीं थे वर्षा पर ही किसानों को निर्भर रहना पड़ता था हर दो-तीन साल में एक बार अकाल की स्थिति बनती थी जिसके कारण गरीबों को दो टाइम का खाना भी मिल पाना मुश्किल होता था लेकिन भारत की जनता इस सारे कष्ट के बीच भी युद्ध के समय जिस तरह से लोगों ने अपनी अपनी क्षमता के अनुसार सरकार को आर्थिक सहायता दी और सरकार का हौसला बढ़ाया उसके कारण ही भारत की सेनाएं सक्षम हुई आर्थिक हालात भी 1968 के बाद से बेहतर होना शुरू हुए पिछले कुछ वर्षों में 70 वर्षों में क्या हुआ इसको लेकर राजनीतिक स्तर पर बहुत बड़े-बड़े कैंपिन चलाए गए जिससे वर्तमान पीढ़ी को लगता है की स्वतंत्रता के पश्चात जो सरकारें बनी उन्होंने कुछ नहीं किया जबकि वस्तुस्थिति यह है कि जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करके गए थे उस समय अधिकांश आबादी के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं थे दोनों टाइम खाना खाने के लिए अनाज नहीं था कृषि के अलावा भारत में आम जनता के पास आय के अन्य कोई साधन नहीं थे भारत सरकार की सारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी उसी बीच भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद लगभग एक दशक तक भारत में दंगे होते रहे राज्यों के गठन को लेकर भी प्रदर्शन और आंदोलन हुए 1962 और 65 का अनचाहा युद्ध भारत को लड़ना पड़ा लेकिन इसी बीच भारत का संविधान बना 1952 में पहली बार लोकतांत्रिक ढंग से आम चुनाव संपन्न हुए 1956 में भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना हुई ट्रांबे में परमाणु रिएक्टर अप्सरा की स्थापना की गई 1957 का दूसरा आम चुनाव संपन्न हुआ वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक व्यवस्था और माप तोल को लेकर परिवर्तन किए गए नए राज्यों का गठन हुआ 1963 में भाखड़ा नांगल बांध बनकर तैयार हो चुका था 1963 में ही भारत ने राकेट का प्रक्षेपण कर दिया था इसके अलावा भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत में औद्योगिक गतिविधियों को शुरू करने के लिए सार्वजनिक उपक्रम शुरू किए विदेशों से भारत के संबंधों को लेकर एक नई इबारत लिखी सारी दुनिया में यह संदेश था कि भारत आदिवासियों सपेरों और गरीबों का देश है इस धारणा को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बदलने का जो काम किया वह उस समय के हिसाब से बहुत बड़ा था