सोनेवानी अभ्यारण्य में चिरचिरा से एंट्री को मिली हरी झंडी पर्यटन को मिलेगा नया रास्ता पांच माह से सचिव नदारद ग्रामीणों ने की तबादले और जांच की मांग वन भूमि पर मिले मालिकाना हक देवरबेली के ग्रामीणों ने कलेक्टर से की मांग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 21 मई 2025 को आयोजित राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 29वीं बैठक में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। बैठक में दक्षिण बालाघाट वनमंडल के अंतर्गत आने वाले सोनेवानी क्षेत्र को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने की स्वीकृति दी गई। इस निर्णय से न केवल वन्यजीव संरक्षण को बल मिलेगा बल्कि यह क्षेत्र पारिस्थितिक संतुलन और ग्रामीण आजीविका के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगा।सरकार ने यह फैसला ईको-सेंसेटिव जोन के विरोध के बीच लिया है इसलिए जिलेवासियों की अपेक्षाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर विस्थापित ग्राम पंचायतों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में यह निर्णय महत्वपूर्ण है।इसी कड़ी में प्रस्तावित है कि कटंगी विकासखंड की टेकाड़ी ग्राम पंचायत स्थित चिरचिरा को सोनेवानी अभ्यारण्य का प्रवेश द्वार बनाया जाए। यह फैसला पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। चूंकि कटंगी क्षेत्र महाराष्ट्र से सीधे जुड़ा हुआ है इससे न केवल राज्य के भीतर पर्यटन को बल मिलेगा बल्कि महाराष्ट्र से पर्यटकों की आवक भी बढ़ेगी। ग्राम पंचायत टटेकसा में सचिव की लगातार गैरहाजिरी से पंचायत के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इसको लेकर नाराज़ उपसरपंच और पंचों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचा जहाँ उन्होंने कलेक्टर से सचिव शंखपाल घरडे का तबादला अन्य पंचायत में करने की मांग की।पंचों ने आरोप लगाया कि सचिव पिछले पांच से छह महीनों से पंचायत से गायब हैं और बार-बार संपर्क करने पर वे “बाहर होने” का बहाना बना देते हैं। आरोप है कि सचिव और सरपंच ने मिलकर पंचायत की सरकारी राशि का आहरण निजी लाभ के लिए किया जबकि कई निर्माण कार्य—जैसे नाली और तालाब की फाल—कागजों में ही पूरे दिखाकर राशि निकाल ली गई।इतना ही नहीं पंचों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायत बैठकों में उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। ग्रामीणों और पंचों का कहना है कि सचिव व सरपंच की मिलीभगत से पंचायत में अनियमितताएं लगातार बढ़ रही हैं जिससे शासन की योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पा रहा। जनपद पंचायत लांजी की ग्राम पंचायत देवरबेली के आधा सैकड़ा से अधिक ग्रामीणों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने वन भूमि पर मालिकाना हक दिए जाने और वन विभाग द्वारा की जा रही बेदखली कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।ग्रामीणों ने बताया कि वे गैर-आदिवासी समुदाय से संबंध रखते हैं लेकिन उनके पूर्वज दशकों से इस वन भूमि पर रहकर खेती-किसानी कर जीवन यापन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जहां आदिवासी वर्ग को वनाधिकार कानून के तहत पट्टे मिल चुके हैं वहीं वे आज भी इस अधिकार से वंचित हैं।ग्रामीणों के अनुसार बीजागढ़ की वन अधिकार समिति द्वारा पूर्व में नियमों के अनुसार वन अधिकार दावा प्रस्तुत किया गया था जिसे वर्ष 2024 में मान्यता न मिलने के बावजूद अतिक्रमण नहीं माना गया। परंतु अब अचानक वन विभाग द्वारा उन्हें बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जिससे वे आशंकित और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। वार्ड क्रमांक 11 लोरा में नगर पालिका परिषद मोहगांव मलाजखंड द्वारा स्थापित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र को लेकर ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह केंद्र पहले पौधा घर के रूप में शुरू किया गया था लेकिन अब इसे कचरा डंपिंग ग्राउंड में तब्दील कर दिया गया है जिससे क्षेत्र में गंदगी और दुर्गंध का साम्राज्य फैल गया है।ग्रामीणों ने बताया कि नगर परिषद द्वारा पूरे नगरीय क्षेत्र के 24 वार्डों का कचरा इसी स्थान पर डंप किया जा रहा है। इतना ही नहीं कान्हा नेशनल पार्क के आसपास स्थित लॉज और रिसॉर्ट्स का खराब भोजन व अपशिष्ट भी यहां फेंका जा रहा है। इससे क्षेत्र में संक्रमणजन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और ग्रामीणों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ग्राम पंचायत कुम्हारी के अंतर्गत छोटी कुम्हारी के वार्ड क्रमांक 19 में रहने वाले लोग इन दिनों गंभीर जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं। लामता नेशनल मार्ग के दोनों ओर बसे कुछ परिवारों द्वारा मुख्य सड़क तक अतिक्रमण कर पानी निकासी के रास्ते बंद कर दिए गए हैं जिससे बस्ती की गलियों और घरों के आसपास बरसात का पानी जमकर भर रहा है।स्थानीय निवासियों ने बताया कि सड़क ऊंची कर दी गई है लेकिन किनारे नालियों का निर्माण नहीं हुआ जिससे गांव की गलियों का पानी निकल नहीं पा रहा। वहीं कुछ लोगों ने अपनी निजी जमीन के साथ-साथ राजस्व भूमि पर भी कब्जा कर भरान डाल दिया है जिससे पानी की निकासी पूरी तरह बाधित हो गई है।स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे और बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। पंचायत प्रशासन इस समस्या को सुलझाने में असमर्थ नजर आ रहा है जबकि यह केवल वार्ड 19 तक सीमित नहीं है बल्कि जिले के अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही समस्या देखी जा रही है।