BJP अपने आपको भारत की दूसरी पार्टियों से अलग मानती है इसके लिए उसका चर्चित नारा है चाल चरित्र और चेहरा, लेकिन कुछ लोगो के कारण भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे के मूल मंत्र को संकट में डाल दिया है। मध्यप्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर भी ऐसे लोगों में शामिल हैं। 4 साल पहले जब वे मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी बनाए गए थे, तो उन्हें सहज, सरल व्यक्तित्व का धनी बताया गया था, लेकिन इन 4 सालों में वे भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों का संरक्षण पाकर सक्रिय नेताओं को हाशिए पर धकेलकर सर्वशक्तिमान बन गए हैं। आज भाजपा में स्थिति यह हो गई है कि खुद पार्टी के पदाधिकारी और सरकारी अधिकारी कहने लगे हैं, कि न खाता न बही, जो लोकेंद्र जी कहें वही सही। और जबसे लोकेंद्र पाराशर भाजपा के मीडिया प्रभारी बने हैं, तब से पत्रकारों का भाजपा कार्यालय से मोहभंग होता जा रहा है। भाजपा मीडिया प्रभारी के नाते पाराशर प्रशासन पर भी दबाव बनाने से नहीं चूक रहे हैं। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर वे जनसंपर्क विभाग के कार्यों में खुलकर हस्तक्षेप कर रहे हैं। स्थिति यह है कि वे जनसंपर्क आयुक्त सुदाम खाड़े और जनसंपर्क संचालक आशुतोष सिंह के अधिकारों पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। इस कारण खाड़े और आशुतोष भी पाराशर के आगे बेबस हैं। उन्होने 15 माह बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार की सत्ता में वापसी के बाद से मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप लगा दी है । वे इस कदर मनमानी पर उतर गए हैं, कि जनसंपर्क विभाग में भी हस्तक्षेप करने लगे हैं। किस मीडिया संस्थान को विज्ञापन देना है और किसको नहीं, यह अब वही तय कर रहे हैं। पाराशर अपने 4 साल के कार्यकाल में मीडिया से संबंध ही नहीं बना पाए हैं। पाराशर उन्हीं लोगों को लाभ पहुंचाने में लगे रहते हैं जो उनकी चाटुकारिता और आर्थिक लाभ हानि से जुड़े होते हैं। जो पाराशर के चहेते नहीं हैं उनके विज्ञापन बंद किए जा रहे हैं, उन्हें जो पूर्व में विज्ञापन मिले हैं उनका भुगतान भी नहीं किया जा रहा है।