मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच भाजपा हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे भोपाल आ रहे हैं। वे अपने साथ हाईकमान द्वारा मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों की फाइनल सूची भी ला रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि मप्र मंत्रिमंडल का गठन गुरूवार को होगा । भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भोपाल में 4 लोगों पर कैबिनेट के चेहरे तय करने का जिम्मा सौंप दिया है। शर्त यह है कि इन चेहरों पर चारों की आम सहमति होना चाहिए। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत और संघ के क्षेत्र प्रचारक दीपक बिस्पुते के नाम बताए जा रहे हैं। दरअसल संघ और संगठन ने तय कर लिया है, कि शिवराज मंत्रिमंडल में नए चेहरों को स्थान दिया जाए। पुराने और अनुभवी नेताओं को संगठन और सहकारी बैंकों सहित निगम मंडलों में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद तुरंत नियुक्ति की जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और सुहास भगत मंत्रिमंडल तैयार करने से पहले उन नेताओं को साधने में लग गए हैं।जो मंत्री बनने की तैयारी करके बैठे हैं।लेकिन उन्हें अब मंत्री नहीं बनाया जा रहा है। इन नेताओं से चर्चा कर उन्हें समझाने का दौर शुरू हो गया है। बताया जाता है कि पिछले 15 साल से मंत्रिमंडल में अधिकांश समय रहे मंत्रियों को अब मौका नहीं दिया जाएगा। इनमें गोपाल भार्गव, डॉ. गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, भूपेन्द्र सिंह, राजेन्द्र शुक्ला, संजय पाठक, करणसिंह वर्मा, सुरेन्द्र पटवा, रामपाल सिंह आदि के नाम बताए जा रहे हैं। यशोधरा राजे सिंधिया को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई बैठक में नए नामों पर विचार हुआ है। सूची को अंतिम रूप देने से पहले इसे दिल्ली भेजा जाएगा। अमित शाह और जेपी नड्डा की स्वीकृति के बाद ही शपथ की तारीख और समय तय किया जाएगा। सिंधिया की 8 सीटों पर सहमति बताया जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के लिए 8 नामो पर सहमति व्यक्त कर दी है। इनमें 6 नाम वे हैं, जो कमलनाथ मंत्रिमंडल में मंत्री थे। इनमें से तुलसी सिलावट और गोविन्द राजपूत को मंत्री बनाया जा चुका है। प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, प्रभूराम चौधरी, महेन्द्र सिसोदिया का मंत्री बनना तय है। सिंधिया ने इनके अलावा अपने खास समर्थक राज्यवर्धन सिंह और ओपीएस भदौरिया को भी मंत्री बनाने की मांग की है। दरअसल दिल्ली में सिंधिया से मुलाकात के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने बताया था,कि उनके कोटे से रणवीर जाटव का नाम मंत्री बनाने वालों की सूची में है। सिंधिया ने अब साफ कर दिया कि जाटव उनके कोटे से नहीं है। 3 मार्च को रणवीर जाटव सिंधिया को विश्वास में लिये बगैर सपा-बसपा विधायकों के साथ दिल्ली के रिसोर्ट पहुंच गए थे। प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद भी रणवीर जाटव सिंधिया के बजाए भाजपा नेताओं के ज्यादा समीप हो गए हैं।