छिंदवाड़ा। पांढुर्ना में परंपरा के नाम पर हर साल खेले जाने वाला खूनी गोटमार मेला शनिवार सुबह से शुरू हुआ। दोपहर 1:30 बजे तक मिली जानकारी के अनुसार 190 से ज्यादा लोग पत्थरबाजी में घायल हो चुके हैं। गौरतलब है कि यह मेला पांढुरना और सावरगांव के बीच जाम नदी के दोनों तटों पर आयोजित होता है। इसमें नदी के बीच गाड़े गए झंडे को हासिल करने की कोशिश में दोनों गांवों के लोग आमने-सामने आते हैं और पत्थरों की बारिश करते हैं। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग घायल हो जाते हैं। सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने इस बार भी कड़े इंतजाम किए हैं। बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात है वहीं स्वास्थ्य विभाग ने मेला परिसर में अस्थाई अस्पताल बनाकर घायलों के उपचार की व्यवस्था की है। इतिहास और विवाद गोटमार मेले की परंपरा कई दशकों पुरानी है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह मेला दो गांवों के बीच वर्चस्व और परंपरा से जुड़ा है। समय के साथ यह आयोजन एक तरह के युद्ध में तब्दील हो गया जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। अक्सर बड़ी संख्या में लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं और कई बार मौतें भी हो चुकी हैं। यही वजह है कि समय-समय पर इस मेले को लेकर विवाद उठते रहे हैं। सामाजिक संगठन और कई जागरूक नागरिक इस परंपरा को खत्म करने की मांग कर चुके हैं। वहीं स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान मानते हुए परंपरा बनाए रखने के पक्षधर हैं। प्रशासन हर साल सुरक्षा और स्वास्थ्य इंतजाम बढ़ाकर इस आयोजन को नियंत्रित करने की कोशिश करता है लेकिन खूनी मेला अब भी जारी है। पांढुर्ना में परंपरा के नाम पर हर साल खेले जाने वाला खूनी गोटमार मेला शनिवार सुबह से शुरू हुआ। दोपहर 3 बजे तक मिली जानकारी के अनुसार 488 से ज्यादा लोग पत्थरबाजी में घायल हो चुके हैं।