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राज्य
17-Nov-2020

मध्यप्रदेश सरकार लव जेहाद को लेकर कानून बनाने जा रही है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा- धर्म स्वातंर्त्य विधेयक 2020 विधानसभा के अगले सत्र में लाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लगातार सामने आ रहे लव जिहाद के मामलों को रोकने के लिए मध्यप्रदेश शासन कानून लाएगी। सरकार इसे लेकर धर्म स्वातंर्त्य कानून बना रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लगातार सामने आ रहे लव जिहाद के मामलों को रोकने के लिए मध्यप्रदेश शासन कानून लाएगी। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि कानून लाए जाने के बाद गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 5 साल की कठोरतम सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा और उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। सीएए व एनआरसी के मुद्दे पर पहले शहर में हुए बवाल के दौरान जिस घातक गुलेल का इस्तेमाल हुआ था, उसे यू ट्यूब पर देखकर बनाया गया था। इस गुलेल से पत्थर या अन्य वजनी वस्तु से 150 से 200 मीटर दूर तक सटीक निशाना लगाया जा सकता है। इसी गुलेल से छतों से पुलिस को निशाना बनाया गया था। उस समय हनुमानताल, गोहलपुर, अधारताल क्षेत्र में इसकी डिमांड थी। सीएसपी गोहलपुर ने हनुमानताल पुलिस के साथ आरोपी के घर दबिश दी। मौके पर गुलेल सहित धारदार हथियार बनाने का कारखाना मिला। पुलिस ने छह तलवार, छह बका, एयरगन, तीन हाइटेक गुलेल व अन्य धारदार हथियार जब्त किए। फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ भीड़ जुटाने और प्रदर्शन करने के मामले में भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अब तक इस मामले में आरोपी बनाए गए छह लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि मसूद की गिरफ्तारी होना बाकी है। मंगलवार को राजधानी में सांसदों और विधायकों के मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवेन्द्र कुमार सिंह की अदालत में तलैया पुलिस की ओर से आरोपी आरिफ मसूद के खिलाफ धारा-82-83 (फरारी की उद्घोषणा) के संबंध में आवेदन पेश किया गया था। पुलिस-प्रशासन ने नगर निगम के साथ मिलकर मंगलवार को चाकूबाजी, लूटपाट सहित अन्य अपराध करने वाले गुंडे-बदमाशों के मकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की। डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र के अनुसार सबसे पहली कार्रवाई आजाद नगर में गुंडे रमेश तोमर के घर से शुरू हुई। इस पूरी कार्रवाई में खास बात यह है कि रमेश का कम्प्यूटर बाबा कनेक्शन भी सामने आया है। सुबह बड़ी संख्या में निगम की टीम पुलिस के साथ 4 जेसीबी और 4 पोकलेन मशीन लेकर रमेश के आजाद नगर थाना क्षेत्र के इदरीश नगर में पहुंची और 2 घंटे की कार्रवाई में निर्माण को जमींदोज कर दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को सुबह तिरुपति पहुंचे एवं उन्होंने भगवान बालाजी के दर्शन किेए। इस दौरान चौहान की पत्नी एवं दोनों बेटे भी साथ थे। चौहान परिवार के साथ रात को ही भोपाल लौट आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को तिरुपति बालाजी के दर्शन किए। वहां उन्होंने मंदिर के वरिष्ठ पुजारियों के साथ मुलाकात की एवं उनका भी आशीर्वाद लिया। चौहान ने इस मौके पर मीडिया से चर्चा में कहा कि उन्होंने कोरोना के जल्द खात्मे और प्रदेश की खुशहाली का प्रार्थना भगवान बालाजी से की। चौहान के साथ उनकी पत्नी साधना सिंह एवं दोनों बेटे कार्तिकेय एवं कुणाल भी साथ हैं। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 की बोर्ड परीक्षा के लिए दसवीं व बारहवीं के सिलेबस में कटौती कर दी है। इसमें नवमीं व 11वीं में पढ़ चुके पाठ्यक्रम को दसवीं व 12वीं से हटाया गया है। मंडल ने लगभग 20 से 30 फीसद सिलेबस में कटौती की है। जिन विषयों में कटौती की गई है, उसके सिलेबस को मंडल के वेबसाइट पर अपलोड कर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जहां बारहवीं के हिंदी में से कवि गोपाल सिंह नेपाली के भाई-बहन, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का बसंत गीत, डॉ शिव प्रसाद सिंह का रंगोली, लेखक जनेंद्र कुमार कहानी खेल आदि कई लेखकों व कवियों के पाठ को हटाया गया है। घोड़ाडोंगरी तहसील के चोपना थाना क्षेत्र में स्थित तवा पुल से सोमवार देर रात सरिया से भरा ट्रक नीचे गिर गया। ट्रक के नीचे दबने से छह लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 5 मजदूर और ट्रक ड्राइवर शामिल हैं। सरिए में दबे शवों को मंगलवार दोपहर दो क्रेनों की मदद से निकाला गया। पांचों मजदूर घोड़ाडोंगरी के पीपरी गांव के रहने वाले थे।घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है। चोपना थाना प्रभारी राहुल रघुवंशी ने बताया कि मुलताई का ट्रक भिलाई से सरिया भरकर हीरापुर आया था। ट्रक में करीब 30 टन माल भरा था। ट्रक चालक ने आधा माल हीरापुर में खाली किया और बाकी 15 टन घोड़ाडोंगरी में खाली करना था। देर रात शाहपुर से 8 किमी दूर तवा नदी पुल के चोपना की तरफ वाले हिस्से में ट्रक अनियंत्रित होकर पुल से करीब छह मीटर नीचे गिर गया। उपचुनाव में जमा हुए लाइसेंसी हथियार अब नगरीय निकाय चुनाव के बाद मिल सकेंगे। क्योंकि मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उधर, लाइसेंसधारियों भी हथियार जमा कराने की परेशानी से बचने के लिए अभी हथियार वापस नहीं मांग रहे हैं। गौरतलब है कि 19 जिलों में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में लोगों के लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए गए थे। जिला कलेक्टरों ने लगभग चुनाव से पहले एक आदेश जारी कर उपचुनाव वाले जिलों के सभी हथियारों के लाइसेंस अस्थाई रूप से निलंबित कर दिए थे। कलेक्टरों ने लाइसेंसधारियों को हथियार चुनाव से पहले थाने में जमा कराने के निर्देश दिए थे। मप्र में विधानसभा उपचुनाव के बाद राज्य की भाजपा शासित सरकार के पक्ष में बहुमत के बाद अब नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इन नगर परिषदों की सूची का अंतिम प्रकाशन भी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही इन सूचियों पर दावे-आपत्ति बुलवाए जाएंगे। दावे-आपत्तियों का निराकरण करने के बाद इन सूचियों को अंतिम सूची माना जाएगा। इसके बाद सूची में लिपिकीय त्रुटियां तो ठीक की जा सकेंगी, लेकिन नए नाम नहीं जोड़े जा सकेंगे। साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकायों एवं पंचायत निर्वाचन के प्रति मतदाताओं को जागरूक करने प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए हैं। निर्वाचन के संबंध में प्रशिक्षण शुरू किया जा रहा है। जेल मुख्यालय के निर्देश पर कैदियों को वीआईपी सुविधा देने के मामले में प्रदेशभर में बदनाम महू की उपजेल में अब नामचीन कैदियों की इंट्री बंद कर दी गई है। बदनामी झेलने के बाद महू उपजेल प्रशासन अब अपनी इमेज बदलने में लगा है। महू की उपजेल उस समय चर्चा में आई थी, जब जेल के अंदर घुसकर कुख्यात गुंडे जीतू ठाकुर की हत्या कर दी गई थी। बाद में जेल को लेकर यह मामला चर्चा का विषय रहा था कि यहां कैदियों को लेन-देन और राजनीतिक संबंधों के आधार पर हर तरह की वीआईपी सुविधा उपलब्ध होती है। स्थिति यह थी कि शहर के कई नामचीन कैदी जोड़-तोड़ कर सेंट्रल या जिला जेल के बजाय महू की उपजेल पहुंच जाते थे, ताकि उन्हें अपने परिजनों से आसानी से मुलाकात करने के अलावा अन्य वीआईपी सुविधा उपलब्ध हो सके। कांग्रेस को जिस तरह से उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा और सत्ता से तीन साल के लिए दूर होना पड़ा है, उससे अब कांग्रेस में बदलाव की बयार शुरू होने वाली है। कई जिलाध्यक्ष इसकी भेंट चढ़ सकते हैं। 28 सीटों की समीक्षा के उपरांत संगठन की कमजोरी भी सामने आई है। कई पदाधिकारियों ने तो काम ही नहीं किया, जिसके कारण कांग्रेसी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के बड़े नेताओं का यह भी मानना है कि अगर पदाधिकारियों ने जवाबदारी से काम किया होता तो कांग्रेस से भाजपा में गए उम्मीदवारों को इतने वोटों की बढ़त नहीं मिलती। कांग्रेस से मिले संकेतों के अनुसार अब जिलाध्यक्षों को बदलने की तैयारी है और नए ऊर्जावान चेहरों को अध्यक्ष बनाकर मौका दिया जाएगा। दीपावली का त्योहार निपटते ही अब प्रदेश में राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही संगठनों में अब नए चेहरे दिखने वाले हैं। भाजपा को जहां अपनी नई कार्यकारिणी घोषित करना है तो कांग्रेस परिवर्तन करना चाह रही है। निकाय चुनाव के पहले ही भाजपा की नई कार्यकारिणी घोषित होने की संभावना है, जिसमें भोपाल से भी कई नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। अभी तक नई कार्यकारिणी में केवल महामंत्रियों की ही नियुक्ति हुई है। अब पूरी कार्यकारिणी का गठन किया जाना है। इसको लेकर हलचल शुरू हो चुकी है और कई नेता प्रदेश संगठन में अपना दावा कर रहे हैं। उपचुनाव के बाद अब कांग्रेस को विकास कार्यों की चिंता सताने लगी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने आठ माह में सिर्फ उन 19 जिलों में काम किए, जहां उप चुनाव थे। जबकि सरकार पूरे प्रदेश की होती है। लेकिन शिवराज सरकार ने भेदभाव किया है। शर्मा ने जारी एक बयान में कहा है कि प्रदेश में विकास कार्य ठप्प हो गए हैं। विधायकों का अधिकार है कि वे इसको लेकर विधानसभा में सरकार से जबाव मांगे,लेकिन शीतकालीन सत्र बुलाने की तारीख तय नहीं की गई है। उन्होंने मांग की है कि सरकार जल्दी से जल्दी विधानसभा का सत्र बुलाए और विधायकों की बात सुने। दरअसल, विधायकों के लिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने विधानसभा संवैधानिक मंच है। मध्यप्रदेश में सड़क हादसे रोकने में जनता और सरकार के तमाम प्रयास सब नाकाम साबित हो रहे हैं। रोड एक्सीडेंट पर कंट्रोल नहीं किया जा रहा है। हर साल सड़क हादसे में मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। इस बात का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में शासन की तरफ से दिया गया। पीटीआरआई एडीजी डीसी सागर ने मीडिया के सामने आंकड़ों का ब्यौरा रखा। उन्होंने बताया कि रोड एक्सीडेंट में हर साल मौत का प्रतिशत बढ़ रहा है। ये ग्राफ 2015 में 8.69 प्रतिशत, 2016 में 3.65 प्रतिशत, 2017 में 5.5 प्रतिशत, 2018 में 5.2प्रतिशत, 2019 में 5.1 प्रतिशत बढ़ा। 2014 में मौत का आंकड़ा 8569 से बढ़कर 2019 में 11249 यानी 23.82 प्रतिशत हो गया। उपचुनाव में बंपर जीत के बाद प्रदेश की सत्ता पर और मजबूती से डट गयी भाजपा को अब विधानसभा अध्यक्ष चुनना है। कोरोना के कारण फिलहाल प्रोटेम स्पीकर ही सदन की कार्यवाही कराते हैं। लेकिन अब नया अध्यक्ष चुना जाना है। पद एक है और दावेदार कई। भाजपा के अलावा अब कांग्रेस भी इस पद के लिए अपनी पसंद बता रही है। भाजपा के कुछ नेताओं ने विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाने की मांग की है, वहीं कांग्रेस का कहना है महाकौशल को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर दावेदारी शुरू हो गई है। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद भाजपा जिस ताकत के साथ सत्ता में कायम रही, वही उसके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। अब अंचल विशेष के संतुलन को साधना उसके लिए चुनौती है। मप्र विधानसभा की 28 सीटों के उपचुनाव भाजपा को नया जीवन और कांग्रेस को गहरी टीस दे गए हैं। इस उपचुनाव में बसपा के चुनाव लडने के भी साइड इफेक्ट रहे। बसपा ने न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी नुकसान पहुंचाया। बसपा की वजह से कांग्रेस को 28 में से 5 और भाजपा को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा। जिन सीटों पर बसपा ने खेल बिगाड़ा उनमें पोहरी, भांडेर, बड़ा मलहरा, जौरा, मेहगांव और मुरैना शामिल हैं। नतीजों के विश्लेषण से साफ है कि उपचुनाव में बसपा ने 6 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ा। पोहरी सीट पर बसपा को मिले 43848 वोट, जबकि कांग्रेस की हार का अंतर 22 हजार रहा। भांडेर सीट पर बसपा को मिले 7055 वोट, जबकि कांग्रेस की हार का अंतर 161 रहा। एकीकृत की गई शालाओं में अब राशि के खर्चों पर लिमिट तय कर दी गई है। स्कूल अब मनमर्जी से राशि खर्च नहीं कर सकेंगे। शाला प्रबंध समिति एवं विकास समिति के अनुमोदन लेना होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो संबंधित शाला प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। छात्रों की दर्ज संख्या के आधार पर 12500 रुपए से लेकर एक लाख या उससे अधिक की राशि वार्षिक अनुदान के रूप में दी जाएगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार इसके लिए राशि खर्च करने का प्रावधान शामिल किया है। एकीकृत शाला निधि से 10 प्रतिशत की राशि इस पर खर्च की जा सकेगी। मप्र के उपचुनाव के बाद राजस्व जुटाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है ऐसे में अब एक किलोवाट के उन उपभोक्ताओं पर निगाह है जिनका बिल अगस्त 2020 तक का बकाया है। चुनाव से पहले सरकार ने अगस्त तक के बिजली बिल का बकाया वसूली स्थगित कर दी थी। जिसे अब जनवरी 2021 से दोबारा वसूलने की तैयारी शुरू हो गई है। कंपनी की तरफ से अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश भी दिए जा चुके हैं। हालांकि प्रबंधन ने फिलहाल ऐसी वसूली को लेकर इंकार किया है। बिजली कंपनियों को प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के कारण 31 अगस्त 2020 तक की बिल बकाया राशि फिलहाल स्थगित करने के निर्देश दिए थे।