1 15 माह तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया. राज्यपाल को सौंपे अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि 40 साल के सार्वजनिक जीवन में हमेशा शुचिता की राजनीति की है और प्रजातांत्रिक मूल्यों को तरजीह दी है. उन्होंने कहा कि बीते 2 हफ्ते के दौरान राज्य में जो कुछ हुआ वह प्रजातांत्रिक मूल्यों के अवमूल्यन का नया अध्याय है. 2 इससे पहले कमलनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही उनकी सरकार के पीछे लगी थी. इस्तीफे के बाद कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा कि आज के बाद कल और कल के बाद परसों भी आता है. 3 मुख्यमंत्री निवास में मीडिया से चर्चा में कमलनाथ ने कहा कि मैं चाहता था कि कांग्रेस महल में नहीं बल्कि महल कांग्रेस में आए ताकि जनता शक्तिशाली बने. उन्होंने कहा कि जनता द्वारा नकारे गए महत्वाकांक्षी सत्ता लोलुप श् महाराज श् और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोगों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रचाया, लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जिसकी सच्चाई सबके सामने आएगी. 4 कांग्रेस के भीतरी सूत्रों से पता चला है कि 92 विधायक होने और दो विधायक द्वारा क्रॉस वोटिंग का खतरा होने के कारण कमलनाथ फ्लोर टेस्ट में नहीं गए. उन्होंने पत्रकार वार्ता में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई और राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. 5 कार्यवाहक मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार को दिल्ली जाएंगे और पार्टी आलाकमान समेत अनेक नेताओं से मुलाकात करेंगे. मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कमलनाथ से प्रदेश अध्यक्ष बने रहने और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाने का आग्रह किया है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष के लिए अनेक नाम सामने हैं. 6 कमलनाथ के इस्तीफे के साथ ही भाजपा में कौन बनेगा मुख्यमंत्री का सवाल पैदा हो गया है. मुख्यमंत्री की कुर्सी के तीन दावेदार सामने आए हैं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं. 7 शिवराज के घर शुक्रवार शाम आयोजित डिनर पार्टी को कैंसिल कर दिया गया है. इसका कारण कोरोना संक्रमण बताया गया है. सोमवार को भाजपा विधायक दल का नेता चुना जाएगा और घटस्थापना के दिन दावा पेश किया जा सकता है. 8 इस बीच कमलनाथ सरकार के गिरने पर टिप्पणी करते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भाजपा चाहती तो दिसंबर 2018 में सरकार बना सकती थी पर हमने फैसला किया कि कांग्रेस सरकार चलाए. 9 कांग्रेस सरकार गिरने के साथ ही अब सत्ता पक्ष और विपक्ष का फोकस विधानसभा उपचुनाव पर हो गया है, जो कि आने वाली सरकार का भविष्य तय करेंगे. 24 सीटों पर उपचुनाव होना है जिनमें कांग्रेस को अपने दम पर सत्ता में बने रहने के लिए 23 सीटें जीतना जरूरी है. यदि सहयोगी और निर्दलीय उसका साथ देते हैं तो उसे कम से कम 17 सीटें अवश्य जीतनी होंगी. 10 वहीं राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा का 2 सीट जीतना तय हो गया है. भाजपा विधायक शरद कोल द्वारा इस्तीफा वापस लेने की घोषणा करने और सत्तासीन कांग्रेस के साथ अनेक मौकों पर दिखने वाले नारायण त्रिपाठी की घर वापसी के साथ अब भाजपा राज्यसभा चुनाव में और मजबूत हो गई है.