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राष्ट्रीय
16-Aug-2025

अंग्रेजों ने हिंदू महासभा को धोखा दिया पाकिस्तान की सत्ता मुस्लिम लीग के जिन्ना को भारत की सत्ता कांग्रेस के नेहरू को क्यों संघ और हिंदू महासभा की यह टीस आज भी भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में कांग्रेस हिंदू महासभा मुस्लिम लीग तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लंबे समय तक बना रहा जिसने भारत के स्वतंत्रता इतिहास और भारत की स्वतंत्रता को प्रभावित किया 1857 के बाद जब ब्रिटिश गवर्नमेंट ने भारत की सत्ता संभाली उस समय अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था इस विद्रोह से निपटने के लिए अंग्रेज सरकार ने सबसे पहले कांग्रेस की स्थापना करवाई अंग्रेज सरकार का मानना था आम जनता की बातें सरकार तक पहुंचाने के लिए कोई ना कोई माध्यम होना चाहिए इसके लिए कांग्रेस की स्थापना हुई थी कुछ समय के बाद कांग्रेस भी अंग्रेजों के खिलाफ खड़ी होने लगी इसी बीच जगह-जगह पर राजे रजवाणोँ की शह पर जगह-जगह से विद्रोह होने लगे तब अंग्रेजों ने फूट डालने के लिए हिंदू और मुस्लिम के बीच में बंटवारा हो इसके लिए सबसे पहले हिंदू महासभा की स्थापना 1902 में कराई। ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार द्वारा राजाओं के साथ अनुबंध करके भारत में शासन किया जा रहा था इसमें से कुछ शासक अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने लगे थे जो मूल रूप से मुस्लिम थे बांटो और राज करो की नीति में जब हिंदू महासभा परिणाम नहीं दे पाई तब 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना अंग्रेजों के सहयोग से हुई मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा को पोषित करने का काम ब्रिटिश गवर्नमेंट करती रही इसके बाद भी स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन तथा अंग्रेजों के खिलाफ जनमानस उग्र होता जा रहा था ऐसी स्थिति में 1926 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई इसे एक सांस्कृतिक और वैचारिक संगठन बनाकर प्रत्यक्ष राजनीति से दूर रखा गया इसे हिंदुओं के बीच में सांस्कृतिक एवं धार्मिक आधार पर एकजुट करने का दायित्व सोपा गया था महात्मा गांधी के कांग्रेस में आने के बाद स्वतंत्रता का आंदोलन तेज हो गया महात्मा गांधी ने सारे भारत में दौरा करके अंग्रेजों के बनाए गए कानूनो और अंग्रेजों के खिलाफ एक ऐसा वातावरण बनाया जिसके कारण स्वतंत्रता आंदोलन दिनों दिन तेज होता चला जा रहा था इसी बीच प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध की विभिषिका का सामना ब्रिटिश साम्राज्य को करना पड़ा प्रथम युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच में हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग का प्रभाव बढ़ा ब्रिटिश सरकार ने 1905 में पहले विभाजन हिंदू मुस्लिम के आधार पर किया था लेकिन कांग्रेस के दबाव में 1911 में उसे रद्द करना पड़ा इसके बाद से ही भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच में विभाजन का जो जन्म हुआ था धीरे-धीरे उसका प्रभाव बढ़ता चला गया 1930 से लेकर 1940 के दशक में मुस्लिम लीग मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में सफल रही वही हिंदू महासभा का भी प्रभाव हिंदुओं के बीच बढ़ने लगा 1940 में लाहौर प्रस्ताव मुस्लिम लीग ने पारित किया जिसमें धर्म के आधार पर दो राष्ट्र बनाने की मांग ब्रिटिश गवर्नमेंट से की गई मोहम्मद अली जिन्ना इसकी अगवाई कर रहे थे 1940 में मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन देखा आह्वान किया जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की मांग पुरजोर तरीके से अंग्रेजों के सामने रखी मुस्लिम लीग के इस प्रयास के कारण बंगाल में हिंसक दंगे हो गए इसकी प्रक्रिया में हिंदू हितों की रक्षा के नाम पर हिंदू महासभा सकिर्य हुई हिंदू महासभा ने भी धर्म के आधार पर बंटवारे का समर्थन किया पश्चिम बंगाल की सरकार हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के गठबंधन से चल रही थी विधानसभा में धर्म के आधार पर बंटवारे की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें हिंदू महासभा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हिंदू बहुत क्षेत्र को भारत में रखने की मांग की 1947 में जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने जा रहे थे तब हिंदू महासभा ने धर्म के आधार पर विभाजन का समर्थन किया ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस के ऊपर धर्म के आधार पर बटवारा स्वीकार करने का दबाव बनाया बंगाल द्वारा जो प्रस्ताव पारित किया गया था उसको आधार बनाते हुए माउंटबेटन योजना 3 जून 1947 को प्रस्तुत की गई जिसमें बंगाल और पंजाब को धार्मिक आधार पर विभाजित करने का प्रस्ताव ब्रिटिश गवर्नमेंट ने रखा मुस्लिम बहुल पूर्वी बंगाल को पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश के रूप में सामने है ब्रिटिश गवर्नमेंट ने भारत को धर्म के आधार पर बांटने का निर्णय लिया इसके लिए रेडक्लिफ रेखा तैयार की गई इसमें हिंदू मुस्लिम आबादी के आधार पर बंटवारा करने के लिए सीमा रेखा तय की गई 20 जून 1947 को बंगाल विधानसभा ने विभाजन के पक्ष में मतदान किया हिंदू मुस्लिम विधायकों ने पश्चिम बंगाल को भारत में रखने के लिए मतदान किया वहीं मुस्लिम विधायकों ने पूर्वी बंगाल को पाकिस्तान में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया था इसी प्रस्ताव को आधार बनाकर ब्रिटिश सरकार ने 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत के बीच में बटवारा करते हुए दोनों देशों से समझौते पर हस्ताक्षर कराकर दोनों देशों की स्थापना की गई 14 अगस्त को मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना को अंग्रेजों ने पाकिस्तान सौंप दिया कांग्रेस अंतिम समय तक धर्म के आधार पर बंटवारे का विरोध करती रही लेकिन जब 14 अगस्त को पाकिस्तान अस्तित्व में आ गया उसके बाद कांग्रेस के पास ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया था हिंदू महासभा को लग रहा था कि धर्म के आधार पर जब देश का बंटवारा हो रहा है पाकिस्तान मुसलमानों को सौंप दिया गया है ऐसी स्थिति में हिंदुस्तान की बागडोर हिंदू महासभा को सौंपी जाएगी लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की बागडोर कांग्रेस के नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू को देकर हिंदू महासभा के और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सपनों पर पानी फेर दिया जिसके कारण हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसका पुरजोर विरोध किया भारत में जगह-जगह दंगे हुए भारत से मुसलमानो को पाकिस्तान के लिए खदेड़ा गया भारत के मुसलमान की संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश की जिसके कारण भारत में भारी बवाल मचा इसकी प्रतिक्रिया पाकिस्तान में भी हुई पाकिस्तान से हिंदुओं को खदेड़ा गया धर्म के आधार पर जो विभाजन हुआ था उसमें लाखों लोगों की जान गई करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ा महात्मा गांधी ने इस हिंसा को रोकने के लिए भारी प्रयास किया महात्मा गांधी के प्रयास से भारत में हिंसा रुकी। जिसके कारण हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काफी नाराज हो गई 1948 में महात्मा गांधी की हत्या इसी रोष का परिणाम था महात्मा गांधी की हत्या के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ भारी गुस्सा देखने को मिला जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई कुल मिलाकर धर्म के आधार पर बांटो और राज करो कि जिस नीति पर अंग्रेज चल रहे थे उसी नीति को आधार बनाकर मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा सत्ता पाना चाहती थी पाकिस्तान में मुस्लिम लीग को सत्ता प्राप्त हो गई भारत में हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सपना पूरा नहीं हुआ जिसकी टीस आज भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा उनका राजनीतिक संगठन भाजपा में देखने को मिलती है। 2014 के बाद से भारत में भाजपा का केंद्र की सरकार में पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी उनके मन में यह आशंका बनी रहती है। भारतीय संविधान के अनुसार वह अपनी सत्ता को कब तक कायम रख पाएंगे इसका कोई भरोसा नहीं होता है जिसके कारण हिंदू राष्ट्र के निर्माण की दिशा में वह आज भी प्रयासरत हैं। बांटो और राज करो का यह सिद्धांत सत्ता को पाने का है सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक सद्भाव से इसका कोई लेना देना नहीं है।