मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों अजीब सी बेचैनी दिखाई पड़ रही है। अंदर ही अंदर मुख्यमंत्री शिवराज की रवानगी की चर्चा शुरू हो गई है। सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राजधानी भोपाल में थे। मध्यप्रदेश में जोरों की बरसात हो रही थी। इसी बीच भोपाल से दिल्ली तक शिवराज की कुर्सी जाने की चर्चाएं शुरू हो गईं। जब कयासों ने जोर पकड़ा तो शाम तक तमाम सोशल मीडिया ग्रुप पर शिवराज को बदले जाने के मैसेज प्रसारित हो गए। लेकिन तमाम राजनीतिक जानकर इन्हें अफवाह बताते रहे। इसी बीच शाम को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर पहुंच गए। वे सीधे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे और इस तरह के बयान दिए कि CM शिवराज को बदले जाने की अफवाहों को फिर से बल मिल गया। सिंधिया ने कहा, 'कैलाश विजयवर्गीय के मार्गदर्शन में आगे बढेंगे। मैं नए जोश के साथ काम करूंगा।' तो मायने निकाले गए कि सिंधिया बतौर मुख्यमंत्री और विजयवर्गीय कहीं प्रदेश की जिम्मेदारी तो नहीं संभाल रहे। हलाकि शिवराज की मध्यप्रदेश से विदाई इतनी आसान नहीं है। लंबे अरसे से उनका विकल्प तलाशने की खबरें आ रही हैं। लेकिन प्रदेश में भाजपा के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वही प्रदेश में सत्ता का चेहरा बदलने की बातें इससे पहले कभी इतनी प्रबलता से राजनीतिक गलियारों में नहीं गूंजी।