राज्य में 7 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी उत्तराखंड में पहाड़ से मैदान तक बारिश का दौर जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून ने राज्य में अगले तीन दिन यानी 7 अगस्त तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक आज राज्य के देहरादून ,नैनीताल , पौड़ी , चंपावत , बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपदों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है जिसको लेकर इन जनपदों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है इसके अलावा राज्य के अन्य जनपदों में कहीं-कहीं तीव्र बौछार के साथ हल्की से मध्यम वर्षा गर्जन के साथ हो सकती है। महंगाई, भ्रष्टाचार व बेरोजगार को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि रोजगार के अभाव में बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। लेकिन तानाशाही पर उतरी भाजपा सरकार आम जन की तकलीफों को दरकिनार कर भ्रष्टाचार में लिप्त है।महंगाई चरम पर है। आम वस्तुएं जनता की खरीद क्षमता के बाहर हो रही हैं। आर्य ने सरकार पर आरोप लगाया कि भर्ती और नौकरी के नाम पर संगठित तरीके से घोटाला किया जा रहा है। डोईवाला स्थित केंद्र सरकार के संस्थान सीपेट का औद्योगिक सचिव डा पंकज कुमार पांडे ने आज निरीक्षण कर संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों का जायेजा लिया। बता दें कि सीपेट द्वारा प्लास्टिक टेक्नोलॉजी पर रिसर्च के साथ उन छात्रों को भी तैयार किया जाता है, जो संस्थान से पासआउट होकर प्लास्टिक टेक्नोलॉजी पर कार्य कर सकें। साथ ही देश की नामी कंपनियों पर इन छात्रों को प्लेसमेंट के साथ वह अपने पैरों पर खड़ा कर सके। पहाड़ों में हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं सड़कों पर जगह-जगह मलबा आने से आवाजाही में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है बताते चले कि कल रात से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कई घरों में पानी और मलवा घुस गया जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है वही सड़कों पर मलवा आने से लोक निर्माण विभाग द्वारा जेसीबी मशीनों की सहायता से मलवा साफ करना पड़ रहा है बरसात के मौसम में क्षेत्र में तमाम नदी नाले उफान पर रहते हैं, बारिश के चलते लालकुआं की गौला नदी भी इस दौरान उफान पर होती है, जिससे नदी के उस पार रहने वाले लगभग एक दर्जन गांवों का संपर्क लालकुआं से टूट जाता है। ऐसी विषम परिस्थितियों में स्कूल पढ़ने वाले बच्चों को उनके परिवारजन कंधों पर बैठाकर नदी पार करवाते हैं तब कहीं जाकर यह नौनिहाल स्कूल पहुंच पाते हैं। स्कूल आते जाते समय बच्चे और उनके परिजन अपनी जान जोखिम में डालते हैं ताकि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अपने जीवन स्तर को ऊपर उठा सकें।