जबलपुर के सहायक आबकारी आयुक्त सत्यनारायण दुबे और क्लर्क विवेक उपाध्याय के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सीएसडी केंटीन के लाइसेंस नवीनीकरण की फाइल दबा ली। जिससे शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है । जानकारी के अनुसार यह फाईल १३ मार्च को प्रस्तुत की जानी थी लेकिन यह 16 अप्रैल को प्रस्तुत कर शासन को लगभग 3 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। ईओडब्ल्यु सूत्रों की मानें तो सिर्फ इसी मामले में दोनों की ठेकेदारों से मिलीभगत नहीं थी। ठेकेदारों से सरकार द्वारा ली जाने वाली खिसारा राशि भी अब तक नहीं वसूला गया जो 25 करोड़ से अधिक है। सूत्रों की मानें तो ठेकेदारों से इस वसूली के बाद कलेक्टर द्वारा राजस्व वसूली प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। हैरानी की बात है कि प्रदेश के अधिकांश जिलों में यह प्रमाण पत्र जारी होने के बावजूद जबलपुर में अब तक जारी नहीं हुआ क्योंकि विभाग द्वारा अब तक ठेकेदारों से राशि वसूली ही नहीं गई है । प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक मप्र शासन की तबादला नीति 20-21 के अनुसार यदि किसी भी शासकीय अधिकारी के खिलाफ ईओडब्लयु में एफआईआर दर्ज होती है तो उस अधिकारी को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है। इस प्रकरण में हैरानी की बात यह है कि सहायक आयुक्त आबकारी दुबे और उनके करीबी क्लर्क विवेक उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी शासन की ओर से दोनों के तबादले के आदेश जारी नहीं हो पाए हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो आबकारी अधिकारी SN दुबे के विभाग में ऊपर तक रसूख के चलते अब तक तबादला आदेश जारी नहीं हुआ है। सरकार ठेंगा दिखाते हुए करोड़ो रुपये का चूना लगाने के बाद भी सत्यनारायण दुबे ठाट से अपनी नौकरी कर रहे है।