बिगत दिनों दो दिन के दौरे पर भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने जिस अंदाज से मंत्रियों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों को टारगेट किया। उससे संकेत मिल रहे हैं कि उपचुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा की स्थिति खराब है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में भी इस बात की चिंता है, कि बीएल संतोष यूं ही भोपाल नहीं आए थे। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री कभी भी उपचुनावों के दौरान नहीं आते हैं।भाजपा के एक पदाधिकारी कहते हैं कि सर्वे में जिस तरह जनता द्वारा भाजपा के प्रति असंतोष दर्शाया गया है, उससे पार्टी में इस बात की चर्चा है, कि क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जादू कम हो गया है। वह कहते हैं कि सिंधिया और उनके समर्थक पूर्व विधायकों के कारण शिवराज की साख खत्म हुई है। सर्वे में यह सुझाव भी दिया गया है कि जहां-जहां सिंधिया समर्थकों का बहुत ज्यादा विरोध है, और पार्टी को हार साफ नजर आ रही है, वहां-वहां सिंधिया समर्थकों के टिकट काटकर भाजपा के जिताऊ एवं प्रभावशाली नेताओं को बतौर उम्मीदवार उपचुनाव के मैदान में उतारा जाए।भाजपा सूत्रों का कहना है कि सर्वे आने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का भोपाल आना किसी गंभीर निर्णय का संकेत भी है। कर्नाटक में संघ के हार्डलाइनर प्रचारक की छवि रखने वाले संतोष चुनावों के दौरान वार रूम के कुशल संचालन के लिए जाने जाते हैं। रहते लो प्रोफाइल हैं, लेकिन परदे के पीछे रणनीतियां बनाने में माहिर माने जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि संतोष ने आलाकमान को सुझाव दिया है कि उपचुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए सिंधिया समर्थक कुछ पूर्व विधायकों की जगह भाजपा नेताओं को टिकट दिया जाए। ऐसे में संभावना जताई जा रही है, कि सिंधिया समर्थक कई पूर्व विधायकों की मंशा पर पानी फिर सकता है। राजगढ़ जिले के ब्यावरा से कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद प्रदेश में अब 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होगा। 27 सीटों को लेकर संघ और इंटेलिजेंस ने अपनी-अपनी सर्वे रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट ने रणनीतिकारों की नींद उड़ाकर रख दी है। संघ के सर्वे के अनुसार भाजपा को 27 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है। वहीं इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा मात्र 4 सीटें जीतने की स्थिति में है।प्रदेश में 27 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के ठीक पहले भाजपा ने नए सह संगठन मंत्री की नियुक्ति के कई राजनीतिक मायने हैं। हाल ही में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के दौरे से भी उनकी नियुक्ति को जोड़कर देखा जा रहा है। जिला अध्यक्षों की घोषणा को लेकर सुहास भगत चर्चा में आए थे, उसके बाद से ही यह सुगबुगाहट शुरू हो गई थी कि प्रदेश भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में संगठन में बड़ा फेरदबल किया जा सकता है।