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व्यक्तित्व
03-Feb-2024

क्या ये बजट? आईएमएफ के दबाव में बना है। आपको यकीन से कह सकता हूँ। की इस पूरे बजट के ऊपर इंटरनेशनल मोनिटरी फण्ड के दबाव की छाप थी। और इस कदर छाप थी कि सरकार ने ऐसा कोई जगह यहाँ पर नहीं छोड़ी जहाँ उसे समझौता नहीं किया। दरअसल न किसानों को कुछ मिला। ना गरीबों को कुछ मिला। ना युवाओं को कुछ मिला। ना महिलाओं को कुछ मिला। लेकिन एक संकेत बहुत क्लियर है। चुकी ये चुनावी अंतरिम बजट था जो जुलाई में बजट आएगा किसी भी सरकार का आए। मैं आपको यकीन से कह सकता हूँ। आप उस बजट को देखना पसंद नहीं करेंगे उसे सुनना भी पसंद नहीं करेंगे क्योंकि वो बजट? आपकी जेब के ऊपर ऐसा डाका डालेगा । पिछले 10 सालों में कभी नहीं देखा होगा। यकीन मानिए ये बजट भारत में नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय के ऑफिस में नहीं बना है। ये बजट बना है इंटरनेशनल मॉनिटरी फण्ड के वाशिंगटन ऑफिस के अंदर बना है। दरअसल पिछले। कुछ वर्षों में मोदी जी ने लोन इतने ले लिए भारतीय लोन विदेशी नहीं। जो 55लाख करोड़ 2014 में थे। पिछले साल 155लाख करोड़ थे। इस साल 173लाख करोड़ हो गए ।नए बजट में 190लाख करोड़ के लोन हो गए। जो यात्रा 55लाख करोड़ से शुरू हुई थी वह अब 190 लाख करोड़ की मोदी के 10 साल में अब हो गई । इसकी रीपेमेंट तो प्रॉब्लम आई। इसकी रीपेमेंट में पहली बार ऐसा ₹10 लाख 55000 करोड़ का रीपेमेंट जो इस साल हमने किया था। पहली अप्रैल के बाद जो हमारा ब्याज और किस्त का पेमेंट होगा वो 11 लाख 90000 करोड़ का है। यही बात इंटरनेशनल मॉनीटरिंग फंड ने की थी कि अब आपके ऊपर दबाव आना शुरू हो गया है। अब आपके लिए ये डोमेस्टिक कर्जा है भारत को कहीं का नहीं छोड़ेगा। यानी की हर 100 पैसे का जो रेवइन्यू आपके पास आ रहा है जो टैक्स आपके पास आ रहा है उसमें से 40% पैसा तो ब्याज और कर्ज के रूप में चुकाने के बाद आपके पास बचता क्या है सिर्फ 60 पैसा? अब सरकार जून में। डॉलर बांड्स भी लाना चाहती है। सरकार का प्याला डोमेस्टिक लोन्स से भर चुका है। सरकार पर दबाव था कि लोन की मात्रा कम करो इस बार मीडिया दावा कर रहा था 5.9 से घटाकर फिस्कल डेफिसिट 5.4 5.3 होगा। इस साल भारत सरकार ने 1735000 करोड़ का लोन लिया था इस साल भी करीब करीब इतनी ही यानी कि लगभग साढ़े 1700000 करोड़ की ही लोन लेगी। लेकिन वो जी डी पी थोड़ी बड़ी हो जाती है तो ये उसका पांच 5.9 से गिर के 5.3 या 4% होगा लेकिन दबाव इतना ज्यादा था आई एम ऐफ़ का । सरकार को मजबूरी में घटाकर 5.1% पे लाना पड़ गया और अपनी बौरोइंग को साढ़े 1700000 करोड़ से घटाकर। 1685000 करोड़ रुपए करना पड़ गया है। सरकार ने इतना लोन लिया किस कारण से? एक तो सरकार के खर्चे बढ़ ही गए थे दूसरा सरकार कैपिटल एक्स्पेन्डचर बढ़ाना चाहती थी। जो पूल बनते हैं वह बनते हैं रेलवे बनती है जो बड़े निर्माण कार्य होते हैं। जीसको कैपेक्स कहते हैं कैपिटल एक्स्पेन्सिव सरकार एक इंजन पर चल रही थी प्राइवेट इन्वेस्ट कर ही नहीं रहा था। सरकार एक इंजन पर चल रही थी क्योंकि प्राइवेट इन्वेस्ट कर ही नहीं रहा था। प्राइवेट कन्सम्पशन जो आपकी और मेरी कन्सम्पशन है जो जीडीपी का बड़ा हिस्सा होता है। वो लगातार 60% से श्रिंक होता होता 56% पे आ गया है। यानी की लोगों के पास भी पैसे नहीं है जो इकॉनमी को सपोर्ट करे। यानी की एक्सपोर्ट एक पिलर है। वो सपोर्ट नहीं कर रहा है। प्राइवेट इन्वेस्टमेंट्स। वो सपोर्ट नहीं कर रहा है। इसके अलावा सिर्फ एक गवर्नमेंट का एक्स्पेन्डचर है। वो सपोर्ट कर रहा है। एक्सपोर्ट्स नहीं है प्राइवेट इन्वेस्टमेंट भी नहीं है। हमारा जो कन्सम्पशन है प्राइवेट कन्सम्पशन 56% पे आ गया है तो चार इंजन की जगह हवाई एक इंजन में चल रहा है। गवर्नमेंट अपने कंधे पे उसे खींचने की कोशिश कर रही थी। पिछले पांच सालों में लगातार कर्ज लेकर पूरा कर रहे थे । समस्या ये थी की प्राइवेट इन्वेस्टमेंट जीरो। प्राइवेट कंस्ट्रक्शन डाउन। एक्सपोर्ट्स बढ़ नहीं रहे हैं। तो आपने पहला चोट देखा कि भारत का रेवइन्यू ग्रोथ? 2700000 करोड़ से बढ़कर 3000000 करोड़ पर। सरकार ने भी हथियार डाल दिए। सरकार कब तक पैसा लगाएगी । जब ये बजट आया और सरकार ने। सरकार को उम्मीद थी कि इस बार 1000000 करोड़ की जगह 1200000 करोड़ का कैपिटल एक्स्पेन्डचर होगा। जब वो घट के 11.100000 करोड़ रुपए रह गया है तो मार्केट टूटना शुरू हो जाता है मार्केट का दम निकलना शुरू होता है और शेयर मार्केट हाफ भी शुरू हो जाती है। ये क्या हो गया? शेयर मार्केट को पता था कि सिर्फ एक इंजन पर पूरी सरकार चल रही है। देश के अंदर सब कमजोर हो चूके है। रूरल इकॉनमी पूरी टूट चुकी है। जो उनोर्गनाइज्ड इकॉनमी है वो भी टूट चुकी है। अब किया किया जाए अब आईएमएफ़ ने कहा कि अब सरकार ज्यादा कर्जा नहीं ले सकते हैं। आप कहोगे आई एम ऐफ़ होता कौन है मैं बताने वाला? जून मैं भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय बॉन्ड लाने जा रही हैं।मोदी जी को आरबीआई ने भी कह दिया है कि उसके पास पैसा नहीं है । लिमिट क्रॉस हो गई है। अब फॉरिन में जाकर पैसा लें। इंडिया की मार्केट ड्राई तो इंडियन रूपी के अंदर कर्ज अब नहीं मिल सकता है । एक किस्म से कहा जाए तो बहुत मुश्किल होता जा रहा है। तो तब मोदी जी को ध्यान आया अच्छा तो मैं फॉरिन बॉन्ड का रास्ता खोलता हूँ वहाँ से लोन लूँ। इसी की ओर इशारा दिलाया आईएमऐफ़ ने। अब आप मजबूर हो के भारतीय रुपए को छोड़ के फॉरिन करेन्सी में लोन लोगे और उसका मतलब है ये वही रास्ता है जो पाकिस्तान और श्री लंका का रास्ता था या अर्जेन्टीना और वेनेज़ुएला का रास्ता था। मोदी जी अब भारत को उस जगह पर ले आए हैं। दबाव था कि आप कैपिटल एक्स्पेन्सर कम करो सरकार ने कर दिया। दबाव था। फिस्कल डेफिसिट कम करो यानी कि जो आपका डेफिसिट है उसको रेडूस करो। कर दिया दबाव था कि बाकी जगह खर्चे सारे कंटेन करो कहीं कुछ देने की जरूरत नहीं है। कर दिया। डिफेन्स का एक्स्पेन्डचर 1000 करोड़ कम कर दिया जीतने मिशन थे स्वास्थ एजुकेशन हेल्त पोषण ऐसी कौन सी जगह थी जो मोदी जी ने छोड़ी? जहा कटिंग नहीं की उन्होंने भारी कटिंग नहीं की। क्योंकि यही से ब्याज का खर्चा बढ़ना शुरू हुआ था।इसी साल में। 1000000 करोड़ का कैपिटल एक्सपैंडर पिछले साल मंजूर किया और वो पैसा खर्च नहीं हुआ। बड़ा अमाउंट वापिस आया है। क्यों वापस आया क्यों खर्च नहीं हुआ? सरकार पर दबाव था। आईएमऐफ़ का खर्चा कम करो इसको कट कर दो। जो आपने अलोकेट किया है शायद सरकार ने वो किया। लेकिन गवर्नमेंट की जो इन्वेस्टमेंट थी वो इस तरह से थी ।वे बना रहे है एक्सप्रेस वे बना रहे है रेलवे बना रहे है तो उसके आसपास की जमीन महंगी हो जाएंगी। जीतने उद्योगपति थे उनका इन्ट्रेस्ट है वे बनाने में नहीं था हैवे की आस पास की जमीनों के अंदर ताकि उसको लेंगे तो वहाँ से फायदा मिलेगा। हमें जमीन ही तो गोल्ड है आज की डेट। एक इंजन पर चलती सरकार हाफनी शुरू हो गई। हालत ही हो गई कि अस्थमा की शिकार और बड़ी मुश्किल से ऑक्सीजन के ऊपर आ गई सरकार। आई एम ऐफ़ की चेतावनी। कर्जा नहीं दोगे और कर्जा लोगे तो डूब जाओगे। हम आपकी मदद करने को तैयार नहीं है। फॉरिन इन्वेस्टर्स डॉलर के फॉरिन इन्वेस्टर्स जो जून में आने हैं वो जब आते हैं तो वो देखते हैं कि सबसे पहले की आपकी कर्जे की हालत क्या है? तो 5500000 करोड़ से आप 1 90 लाख करोड़ रुपए पर आ गए। तो कर्जे की हालत तो बहुत बुरी है और साथ में स्टेटस का कर्जा मिला लिया जाए तो आपका कर्जा जीडी पी से ज्यादा बढ़ गया है। कहते है ना दाई से पेट छुपा सकते है तो सरकार आईएमऐफ़ से पेट को छुपा नहीं सकते और आई एम ऐफ़ कह दिया की आप।