राज्यसभा संसद महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 समर्थकों के दम पर भाजपा सत्ता में आई है। अब वही पार्टी के लिए मुसीबत बन गए हैं। इस बात का खुलासा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा एक निजी एजेंसी से कराए गए सर्वे में हुआ है। एजेंसी ने प्रदेश में उन 22 विधानसभा क्षेत्रों का सर्वे किया है, जहां के कांग्रेसी विधायक अपनी विधायकी छोड़कर सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए हैं। सर्वे में यह बात सामने आई है कि इस बार जनता उपचुनाव को लेकर काफी सजग है। मतदाता भाजपा के भावी प्रत्याशियों की कुंडली खंगाल रहे है। निजी सर्वे एजेंसी ने अपने सर्वे के बाद जो रिपोर्ट दी है, उसके अनुसार कुछ सामाजिक, धार्मिक और स्वयंसेवी संगठन उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। यह संगठन मतदाताओं को एक-एक भावी प्रत्याशी की हकीकत बता रहे हैं। इससे जनता में पहले से जो आक्रोश था, वह और बढ़ रहा है। उधर, सिंधिया द्वारा 600 करोड़ की सरकारी की जमीन हड़पने का मामला भी सुर्खियों में बना हुआ है। इससे सिंधिया की साख तो गिरी ही है, भाजपा का दामन भी कलंकित हो गया है। चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडऩे वाले 22 में से 11 पूर्व विधायकों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। उनमें तुलसीराम सिलावट-सांवेर, जजपाल सिंह जज्जी-अशोकनगर, सुरेश धाकड़-पोहरी, जसमंत जाटव-करैरा, इमरती देवी-डबरा, मुन्नालाल गोयल-ग्वालियर पूर्व, प्रद्युम्न सिंह तोमर-ग्वालियर, रणबीर जाटव-गोहद, गिर्राज दंडोतिया-दिमनी, रघुराज सिंह कंषाना-मुरैना और ऐदल सिंह कंषाना-सुमावली शामिल हैं।