मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ऐसे कानून बना रही है जिसके दूरगामी परिणाम बेहद जटिल होंगे. श्रम कानून में संशोधन कर उन्हे मजदूरों का विरोध सहना पड़ेगा। कानून में बदलाव से पहले पहले शिवराज ने ना तो मजदूरों से चर्चा की औऱ न ही मजदूर संगठनो से । इसलिए इन फैसलों पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जहां शिवराज सिंह को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति जताई है वही श्रमिक संगठनो का कहना है की श्रम कानून में संशोधन जन विरोधी हैं, शोषण को बढ़ाने बाला हैं. भाजपा से जुड़े श्रमिक संगठन ने भी कानून में संसोधन की कड़ी निंदा की है । अगर हम कानून में बदलाव की बात करे तो इससे अब उद्योगों को विभागीय निरीक्षणों से मुक्ति मिलेगी. उद्योग अपनी मर्जी से थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करा सकेंगे. मतलब अब उद्योग अपनी सुविधा में शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे. साफ तौर पर कहा जा सकता है कि श्रमिकों को 12 से 14 घंटे काम करना पड़ेगा . ऐसा ही दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 में जो संशोधन हुआ उसमें 6-12 बजे रात तक दुकानें खुली रह सकती हैं, लेकिन जरा सोचिये जिन लोगों से दुकानों में काम कराया जाता है उसमें से कितनों को डबल शिफ्ट या दूसरी शिफ्ट के लिये कामगार रखे जाएंगे कानून बनने के बाद आवाज उठाने की गुंजाइश भी बहुत कम बची है.