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अंतर्राष्ट्रीय
10-May-2024

भारत में ईडी की किस तरीके की कार्यप्रणाली है ईडी किस तरीके से पूरे देश में एक अलग तरीके से मुहिम चलाए हुए हैं तमाम विपक्षी दल जो है वो बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि ईडी जो है वो भारत सरकार की प्रधानमंत्री जी की वो एक कठपुतली बनी हुई है ईडी उनके शारे पर काम कर रही है ईडी अपनी संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है सरकार उन पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है ऐसा आरोप बार-बार लगातार विपक्षी दल लगाए हुए हैं हेमंत सोरेन जो पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड के थे वह जेल में है अभी तक उनको बेल नहीं मिल पाई है वही कि अरविंद केजरीवाल अभी भी जेल में है मुख्यमंत्री बने हुए हैं उनके मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए कुछ लोगों ने जो है जनित याचिकाएं भी डाली थी सारी की सारी जनित याचिका जो खारिज हो चुकी है ऐसे में किसी व्यक्ति ने एक याचिका यह भी डाली है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहे और उनको जेल से ही काम करना काम करने का मौका दिया जाए उनकी सरकार को ना गिराया जाए तो पूरे देश में इस वक्त चुनावी पूरा माहौल बना हुआ है बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं और यह भी देखने को मिल रहा है कि पहली बार जो है एक मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री रहते हुए जेल में है इन सबके बीच में जो सब कुछ चल रहा है आप लोग देख रहे हैं सबके बीच में एक हाई कोर्ट का बहुत बड़ा आदेश आया है जो कहीं ना कहीं बहुत बड़ी लाइन बहुत बड़ी लकीर खींचता है ईडी पर ईडी की कार्य प्रणाली पर मसला यह हुआ कि एक व्यक्ति को ईडी ने गिरफ्तार किया और 24 घंटे तक उसको जो है संबंधित न्यायालय में नदी की न्यायालय में हाजिर नहीं किया जैसा कि आप जानते हैं कि नियम है रूल है कानून है किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाएगा तो 24 घंटे के अंदर संबंधित नजदीकी जो भी न्यायालय होंगे वहां पर उस व्यक्ति को न्यायालय के सम्मुख हाजिर किया जाएगा वहां से उसकी लीगल जो जुडिशल कस्टडी होती है उसकी कस्टडी वहा से ली जाएगी तो उस व्यक्ति को हाजिर नहीं किया इस व्यक्ति ने अपने अधिवक्ता के के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की और गिरफ्तारी को अव बताते हुए याचिका को खारिज करने की बात की मामला बम्बे हाई कोर्ट का है बम्बे हाई कोर्ट की जो जस्टिस की बैच मैं आपको नाम बता दूं जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे दो जस्टिस की य पीठ है इस मसले को सुन रहे हैं तो मसला जब उन्होंने सुनना शुरू किया जस्टिस ने हाई कोर्ट में तो निकल कर के आया कि यह जो व्यक्ति है इनको तीन बार समान दिया गया ईडी का तीनों बार य हाजिर रहे संबंध पर पूछताछ हुई इनको गिरफ्तार कर लिया गया तो जो ईडी के वकील थे उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि मामला अवैध गिरफ्तारी का नहीं है इनको नोटिस दिया गया नोटिस पर य उपस्थित रहे उसके बाद उनसे पूछताछ की गई उसके बाद उनको गिरफ्तार किया गया वही जो वादी है याचिका करता है उनके वकील का कोर्ट में ये कहना था कि हम हर बार हर तारीख पर जब भी हमको नोटिस मिला हम मौजूद रहे हमको गिरफ्तार कर लिया गया और 20 घंटे तक लगातार हमसे पूछताछ की गई हमको सोने नहीं दिया गया जब न्यायालय ने सुना कि सोने नहीं दिया गया तो न्यायालय ने इस पर सखत टिप्पणी की न्यायालय की टिप्पणी इसलिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि संविधान का जो अनुच्छेद है आर्टिकल 21 आर्टिकल 21 आप लोग जानते हैं राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी यानी कि किसी व्यक्ति को जीवन जीने का गरिमामय जीवन जीने का किसी व्यक्ति को अधिकार है उस अधिकार का वायलेशन हाई कोर्ट ने यहां पर पाया क्योंकि नींद जो है वो एक मौलिक अधिकार है किसी व्यक्ति का नींद जो है मौलिक अधिकारों में आती है किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है कि उसको सोने का भी अधिकार होगा आर्टिकल 21 के अकॉर्डिंग तो जब हाई कोर्ट ने देखा कि इस तरीके की बात है तो हाई कोर्ट इस पर नाराज हुआ हाई कोर्ट ने कहा कि नींद जो है किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार को आप ना उसका अनन कर सकते हैं ना उसका वायलेशन कर सकते हैं यानी कि ना तो आप कम कर सकते हैं ना छीन सकते हैं मौलिक अधिकार तो आपको उसको देने ही होंगे हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की ईडी पर ये टिप्पणी जो है कई मायने में महत्व रखती है क्योंकि ईडी पर आप देखते हैं कि कभी सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी करता है कभी हाई कोर्ट से टिप्पणी होती है लेकिन ईडी की कार्यप्रणाली है कि वो बस करते चले जा रहे हैं हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां लगातार होती चली जा रही है और इस केस में सबसे बड़ी बात यह रही कि इस गिरफ्तारी को अवैध गिरफ्तारी बताते हुए याचिका दाखिल की गई थी तो हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया यानी कि उन्होंने गिरफ्तारी के बारे में यह कहा कि गिरफ्तारी जो है वो जस्ट है फेयर है गिरफ्तारी पर हम कुछ नहीं कहना चाहते गिरफ्तारी बिल्कुल ठीक हुई है सबूत है ईडी ने गिरफ्तार किया है ठीक है गिरफ्तारी ठीक है लेकिन जो 20 घंटे तक लगातार पूछताछ की सोने नहीं दिया गया किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है इसका हनन ना हो पा ना होने पाए इसकी जिम्मेदारी हाई कोर्ट की है और सुप्रीम कोर्ट की भी है तो कुल मिलाकर यह टिप्पणी जो है बहुत महत्त्वपूर्ण है हाई कोर्ट की टिप्पणी का ईडी को और तमाम एजेंसियों को संज्ञान भी लेना चाहिए और देखना चाहिए कि आगे से ऐसी गलतियां ना हो