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क्षेत्रीय
28-Apr-2020

कोरोना संक्रामक की वजह से देश मे लाकडाउन घोषित कर दिया गया जिसके कारण नक्सली अपनी भूख मिटाने के लिए गांवो तक पहुचकर ग्रामीणो अनाज की मांग कर रही है। इसी के चलते मंगलवार की सुबह ७.३० बजे बालाघाट जिले के लांजी थाना क्षेत्र के ग्राम टेमनी स्थित अस्थाई पुलिस चौकी के समीप पुलिस पार्टी और नक्सलियो मुठभेड़ होकर लगभग आधे घंटे तक १० से १० राउंड गोलियां चली। जिसमें एक नक्सली को गोली लगने पर भी वह अपने हथियार छोडक़र भागने मे सफलता हासिल कर ली। वही पुलिस ने नक्सलियो का पीछा करते हुए सभी अवैध सामग्री को जप्त करने की जानकारी पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने कंट्रोल रूम मे पत्रकारो को प्रेससवार्ता के दौरान दी । कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए घोषित किये गये लाकडाउन के दौरान बालाघाट जिले के अन्य राज्यों एवं बड़े शहरों में रह रहे 53 हजार 386 लोग वापस आये है। 23 मार्च से 26 अप्रैल 2020 के बीच इन लोगों की आमद हुई है। जिले के सीमावर्ती क्षेत्र रजेगांव, मोवाड़, कारंजा, बोनकट्टा, कोयलारी, कंजई में बाहर से आने वाले लोगों की जांच की गई है और उन्हें जरूरी होने पर क्वेरंटाईन सेंटरों में रखा गया है और उनके भोजन का इंतजाम भी किया है। जिला प्रशासन ने बाहर से आये लोगों को बसों से उनके गांव तक पहुंचाने का इंतजाम भी किया है। जिन लोगों की 14 दिनों की क्वेरंटाईन अवधि पूरी हो रही है उन्हें बस से उनके गांवों तक पहुंचाया जा रहा है। बाहर से वापस आये इन लोगों को अपने घर में भी स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से होम क्वेरंटाईन में रहने की सलाह दी गई है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्त्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले द्वारा बाहर से आये इन लोगों के स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। वन सम्पदा से छाया हुआ बालाघाट जिला ग्रामीणों के लिए रोजगार का सहारा है जंहा वन बाहुल्य अंचलो में रहने वाली आदिवासी बैगा जनजातियां वन विभाग पर ही आश्रित है। कुछ इसी तरह की शिकायत विभाग के दक्षिण सामान्य वन मंडल को प्राप्त हो रही है जिसके अधीन सभी रेंज में विभाग द्वारा करवाए गए विभागीय कार्यो का भुगतान विगत 3 महीनों से मजदूरों को नहीं मिला है। जिससे इस लॉकडाउन की स्थिति में मजदूरों को अपनी जीविका चलाना भारी पड़ रहा है । वही इस संबंध में डीएफओ अनुराग कुमार का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से काफी विलंब हो गया था किंतु शीघ्र ही भुगतान हो जाएगा। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जहां शासन द्वारा दूसरे प्रदेश में फंसे मजदूरों को लाने की बात कही जा रही है वहीं अपने दम पर पैदल चलकर पहुंचे मजबूर मजदूरों को आइसोलेशन के नाम पर महज तीन दिन के बाद ही छोड़ा जाना प्रशासन के नुमाइंदों की लाफ़रवाहि को उजागर करते दिख रहा है वहीं आइसोलेशन के बाद छोड़े जाने पर उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए तैनात वाहन से न छोड़कर,अपने साधन या पैदल जाने की बात कहकर प्रशासन दोहरी मार देने पर आमादा है ऐसा ही एक वाकया बालाघाट-सिवनी जिला सीमा रेखा पर बने कंजई आइसोलेशन कक्ष में देखने आया जहां लालबर्रा क्षेत्र के कामथि निवासी आदिवासी मजदूर मजदूरी के चलते हैदराबाद गये हुए थे,लॉक डाउन के कारण किसी साधन के न मिलने पर पैदल चलकर बीते 25 अप्रेल को जिला सीमा पर बने आयसोलेषन कक्ष में आइसोलेट होने के बाद अपने गंतव्य तक जाने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई मदद न मिलने पर आयसोलेषन कक्ष से 20 किमी अपने गांव जाने पैदल ही निकल पड़े